Friday, November 30, 2018

बीते यौवन की याद आयी , वतन तेरी याद बहुत आयी: लेखिका कमलेश चौहान (गौरी )

बीते यौवन की याद  आयी , वतन तेरी   याद बहुत  आयी


लेखिका  कमलेश चौहान 
(गौरी ) 

 न जाने  क्यूँ वतन तो  दूर  मैं छोड़ आयी। 
यू लगा जैसे  मैं अपना वजुद छोड़ आयी। 

कुछ गलीया  कुछ मोहल्ले  बदले बदले से थे ,
नज़रे जिन्हे  ढूंढ  रही थी , वह न जाने कहा थे ?

  वो  कोयल का गान मीठी मीठी बांसुरी की  धुन  ,
वो चहकना चिड़ियों का कहां हो चूका  है गुम 

कानो में गूंजती रही  सावन की  बूंदो की बौछार 
घर के सामने लगे पेड़ पर रस्सी के झूले की पुकार। 

किस नगरी में  जा बसी , मेरे  मासुम बचपन की सहेलिया ,
यु ही  बिना मतलब हसना , मनचलों से करना अठखेलीया

एक एक हस्ते यौवन की बात  जब याद आती है मुझे 
रात रात भर तब  बीते यौवन की याद रुलाती है मुझे 

बीते यौवन की याद  आयी , वतन तेरी   याद बहुत  आयी 
हाय ! वह अस्वार्थी रिश्तेदारी , दोस्तों की दोस्ती याद आयी। 

कॉपी राइट @ कमलेश चौहान ( गौरी) 

Thursday, October 4, 2018

वह कौन लोग है ?जो सड़को पर रैली में हिंसा फैलाते है ? कहा से आते है ? उनके पास रैली करने का पैसा कहाँ से आता है ? : लेखिका : गौरी


वह कौन  लोग है ?जो सड़को पर रैली में  हिंसा फैलाते है ? कहा से आते है ?  उनके पास  रैली करने का पैसा कहाँ से आता है ? :  लेखिका : गौरी 


मुझे यह नहीं समझ आती जब भारत में कोई भी राजनितिक पार्टी  जो  भारत की सरकार  से  किसी बात पर किसी मुद्दे पर  उन्हें सरकार  के कानून और  उन की बात  मंजूर नहीं होती तो  वह पर विरोध करने के लिए   रैली निकालते है सड़को पर।  यह रैली निकलने के लिए इन्हे पैसा कौन देता है ? इतने लोग कहाँ से आते है? सवाल इस लिए मेरे मन में आया कि  विरोध करना बुरा नहीं लेकिन जब यह  राह जाते लोगो को पीटते है और पुलिस के साथ मारपीट शुरू करते है , सड़को पर आग लगते है इन्हे धयान नहीं आता की यह  देश के अनुशासन को भांग कर रहे है ? कहा गया महात्मा गाँधी  का अहिंसा  का सन्देश।   यह लोग प्रोटेस्ट रैली निकालते है तो यह लोग पुलिस वालो से धक्का जोरी क्यों करते है ? क्या हिंसा की पहले  से  की रैली की प्लैनिंग होती है?  कया  देश की बसों को आग लगाने की  पहले से तयारी होती है ?  यह काया विधि है  विरोध करने की?  या हिंसाजनक आग लगाने की । 
 किसानों की समस्या  पिछले २०  बरसों से मैं देखती आ रही हूँ।  तब तो कोई रैली नहीं निकली।  तब किसानों ने मुद्दा तो नहीं उठाया था।  क्या जो शर्ते लगायी गयी है वह वाज़िब भी है ?  कर्ज को माफ़ करने के लिए अर्जी डालो ?  अगर  यह मुद्दा उठाया भी है तो उनका अधिकार है।  यह कौन लोग थे? जिन्होंने किसानो के रैली में आकर अशांति  और  हिंसा  फैलायी? सरकार को इसकी जाँच करनी चाहिए।  जिस जिस ने  देश की इमारतों को तोडा है , जो जो गाड़ियों, बसों  और कारो को तोड़े  उनसे ही उसका पैसा वसूल किया जाए।  क्या  आपको लगता नहीं  यह  देश में  रहने वाले जो इस शासन से ईर्ष्या खाते है , उनकी  साजिश होगी ?   या फिर  विपक्ष वालो में कोई न कोई ऐसा होगा जिसने यह चाल चली।   ताकी सरकार को  बदनाम किया जाये ? पुलिस को बदनाम किया जाये।
  
 पहले मैंने अपनी आँखों से खबरों में टी वी पर  सात समुन्दर पार में  देखा पहल पुलिस ने नहीं की।  रैली के कुछ लोगो ने पुलिस वालो के साथ हाथो पायी की और बैर्राक को हटा  दिया गया।  यह जोश और गुस्से की निशानी नहीं यह उनकी बर्बरता की निशानी थी जो  बैरक और आस पास  तोड़ फोड़ की गयी।  
अब पुलिस ने अपनी सेल्फ डिफेन्स के लिए तथा रैली को डिसप्लन रखने के लिए कुछ तो करना था वरना  सारे शहर में यह लोग अहिंसा फैला देते। मुझे लगता है ऐसी रैलीज  में कोई बाहर से आकर शामिल हो जाता है और यह जान बुझ कर कोई भी सरकार हो उनको चुनाव के निकट आने से वोट लेने के लिए कुछ विपक्ष देश के दुश्मन आकर जान बुझ  कर पुलिस को बदनाम करते है।  

  किसान और जवान देश के सबसे  माननीय लोग है लेकिन अगर हिसाजनक रैली करेंगे तो कोई कैसे सुन सकता है उनकी फ़रियाद ?।  क्या पुलिस  वाला किसी का पिता नहीं ? क्या पुलिस वाला किसी का बेटा  नहीं?   क्या  पुलिस वाले की कोई पत्नी या बहिन नहीं होती ? आप क्या  चाहते है कि  आप रैली में हिसाजनक हो जाए तो  पुलिस कोई एक्शन न ले ? माना कि  कभी कभी पुलिस भी गलती कर सकती है।   
लेकिन यह विरोध करने  वाले लोग  बड़ी दुविधा में हालात  बना देते है यह लोग पुलिस वालो की।  फिर मीडिया को जो दिखाना  चाहिये  वह तो दीखते नहीं की यह हिंसा कैसे शुरू हुई ? किसने की लेकिन पुलिस वालो के खिलाफ बोलना शुरू कर देते है।  आधी आग तो भारत के मीडिया वाले ही लगा देते है।   आप सब क्या चाहते है पुलिस वाले हाथ जोड़ कर इनके आगे खड़े हो जाये? या इनसे जुतिया खाते जाए।  

  सबसे पहले मेरी  सहानभूति किसानो के साथ है।  कर्जा माफ़ करने तक  तो बात ठीक है लेकिन इतनी साडी शर्ते वाजिब नहीं,  बिलकुल नहीं।  सर्कार कैसे  मार्केट  की कीमत से  आपसे दुगने  पैसे में आपसे फसल ख़रीदे  ? क्यों? यह किसी देश में नहीं होता।  
  लेकिन जिन्होंने पुलिस को मजबूर किया डंडा बरसाने के लिए  कोई भी उनके साथ नहीं।  किसानो को सुविधा देनी चाहिए।  लेकिन हमें यह भी महसूस किया है  जब किसान को पैसा दिया जाता है उन्ही पैसो से अगर किसान अपने बचो को  परदेस भेज देता है , या दुरपर्योग कर दे  तो वहा  सरकार  क्या  करे ? वैसे किसान बहुत ईमानदार होता है।  मेरी नज़र में किसान भगवान  होता है देश का।  वह कभी ऐसा नहीं करेगा।  यह नहीं कहती की हर किसान ऐसा करता है।
  
कोई भी सरकार  इस बात  होती ऐसी हालत में हर  सरकार  की पुलिस अपनी सुरक्षा के लिए हिंसा फैलाने वालो को ऐसा ही करती चाहे अमेरिका हो या भारत या हो इंग्लैंड।  अरे रैली में जान बूझकर हिंसा फैलाने वालो जरा  अमेरिका आयो , कनाडा जायो और इंग्लैंड जायो वह की पुलिस वह बैंटो से मारते  है और रैली वाले कुछ नहीं कर सकते।  मीडिया बोलती रहती है पुलिस वालो का कुछ नहीं कर सकते।  कांग्रेस पार्टी ने  भारत बंद करवा दिया ?  कियों? लोगो ने रोटी नहीं कमानी?   तुम कौन होते हो भारत बंद करके  लोगो की पेट पर लात मारने वाले ?  किसी की माँ बीमार हो सकती है किसी का बच्चा बीमार होता है , कोई आपत्ति होती है आप लोगो की वजह से देश का कितना नुक्सान होता है  यह आप लोगो को दिखाई नहीं देता ? 
 आप लोगो को भारत में हिंसा फैलाने के बाद भी आपके मीडिया वाले सरकार  को ही  बदनाम करती  है।  कोई  जर्नलिज्म के एथिक्स है या नहीं ? भारत में?  अगर यह काम इस वक़त कांग्रेस की सरकार में करते तो क्या उस समय पुलिस आपके आगे हाथ जोड़ कर खड़ी  हो जाती और आप लोग हिंसा फैलाते  रहते ?  वह क्या राम राम करते रहते जवाब दो? बंगाल में कर के दिखायो ममता बनर्जी आपका क्या हाल करती।  मुझे लगता है इस किसान की रैली में कुछ गलत लोगो ने आकर जान बूझकर ऐसा किया है।  किसानो ने नहीं।  किसानो और पुलिस का कोई दोष नहीं. इसकी कारवाही होनी चाहिए कौन ऐसा इन्सान था किस पार्टी का था जिसने किसानो की रैली को हिंसाजनक बनाया।  किसान ही हमारे अणदाता है और जवान हमारी  जान के रक्षक।  कभी कभी सोचती हु मोदी जी को कोई आवश्यकता नहीं पी एम बनने की ऐसे  हिंसाप्रिये लोगो को कर दो फिरंगियों के हवाले फिर देख्नेगे पाकिस्तान कैसे   इन लोगो को बर्बाद करता है।  वह पाकिस्तान  जिसने  हर बार हमारे भारत  पर हमला किया उस पाकिस्तान ने जिसने हमारे कश्मीर को नरक बना दिया।  हमारे नेता इस चुनाव में पाकिस्तान से सहायता मांगते है ?  वह चीन  जिसने पंडित जवाहर लाल की पीठ पर छुरा गोपा उससे गुप्त मीटिंग  होती है।  
 आज पुराण इतिहास फिर से दोहरा रहे हो? कौनहै यह लोग।  मोदी से बैर  बहुत महंगा पड़ेगा पुरे भारत को।  यह मेरी बात याद रखना जनता।  भूलना नहीं।   मोदी विरोधियो ने जो जो तमाशे  किये है देश के लिए बहुत खतरनाक है।  जिनको आरक्षण दिया जाता है वह भी मोदी विरोधी ही है।  वह भी कोई मोदी जी के सगे नहीं।  वह आज भी ब्रह्मणो और राजपूतो पर झूठे इल्ज़ाम लगा रहे है।  फिर यह क्या रिवाज पैदा हो गया है  की कांग्रेस की प्रियंका चतुर्वेदी  हमारे जवानो को गली देती है।  उससे कहिये ज्यादा सीना पर जाकर कड़ी हो जाए , पत्थर खाये फिर देखते है वह कैसे  हमारे जवान पर फिर फाइल करती है।  समस्या यह है  भारत में हर राजनितिक  नेता के घर से  एक बचा सेना में  नहीं जाता।  जब की दूसरे देशो में इंग्लैंड में  रॉयल परिवार का बचा भी देश के लिए लड़ता है देश की सेना में भर्ती होता है।  लेकिन भारत में हर राजनैतिक के  बच्चा  राजनीती में ही आता है सैनिक नहीं बनता ।  मै  सात समुन्दर रहती  हु आज भी अपनी मातृभूमि से प्यार करती हु।  आखरी दम  तक करुँगी।           ( well wishers of  Farmers and  Soldiers of the my motherland of India and USA   Gauri) )

Monday, September 24, 2018

कोटा की  की कहानी , मेरी नानी सा की जुबानी।  
लेखिका : कमलेश  चौहान ( गौरी ) 

मानव को परमात्मा ने बुद्धि दी है , भुतपुर्व की यादे भूलना तो अच्छा है।  भुतपुर्व ही हमारा वर्तमान होता है ताकि हम वह  गलती हम अपने वर्तमान में न करे।  वर्तमान हमारे भविष्य को बनाता  है।  हालांकि यह बाते  हिन्दू धर्म में न जाने कब से लिखी गयी है।  बड़े अफ़सोस की बात है भारत का हर धर्म हिन्दू धर्म से ही निकला है और आज कुछ लोग भूल गए अपने स्वार्थ के लिए की पेड़ की जड़ो से पेड़ बनता है।  अपनी जड़ो को भूलना ही विनाश का कारन बनता है।  बूढी का नाश हो जाता है।  जिसका नमून आज हम देश सकते है।  वह नमूना है आतंकवाद, भारत बंद , , सड़को पर विरोध के नारे ,  गरीब दुकानदारों की दुकानों को तोडना , सड़को में राह गुजारो को तंग करना , रेलगाड़ियों को रोकना।  टी वी पर जोर जोर  से सैनिको को गालिया देना।  ७० साल तक आज भी आरक्षण मांगते है । वही लोग अपना धर्म बदल कर   हिन्दू धरम के खिलाफ  झूठा प्रचार करते है ।  विनाश है यह।
  
पता नहीं क्योँ  हमारे भारत की धरती को किसका अभिशाप है?  जब जब भारत आसमानों की बुलंदियों को छूने लगा तभी हमारे ही देश के लोगो ने विदेशियों के झांसे में आकर अपने ही देश के टुकड़े टुकड़े कर दिये।  कल भी यही  हुआ था।  आज भी हो रहा है।   आज भी कैसे भोले भाले युवको को भड़का कर  कन्हैया  कुमार।  शैला।  कांग्रेस की परवकता प्रियंका  चतुर्वेदी , शबीना लोन , प्रशांत भूषण, सुरजेवाला  जो हमारे देश के सैनिको को  गाली देती है फिर अगर कोई सैनिक शहीद  होता है तो अपनी मशहूरी के लिए सरकार को दोष देती है।टीआरएस आता है इन  लोगो की  बुद्धि पर।   

मुझे  याद है  बचपन में नानी ने एक सच्ची घटना  बतायी थी।  कहते है १९३५ में कोटा के शहर में एक भिखारी आता है और शहर वालो उस शहर से दूर जाने को कहता है।  कियोंकि वह सबको कहता है इस शहर एक ऐसी घटना घटने वाली है की सब कुछ तबाह हो जायेंगा।  यह से दूर चले जायो।   सबने उसको भिखारी  भिखारी कह कर  पीटना शुरू कर दिया।  न जाने काया काया उसे भिखारी होने  का ताना  लगाया।  उसने यह भी कहाँ की मंदिरो में दान करो ताकि किसी की जान को खतरा न हो। 
 यह इतहासिक घटना है। 
 
भारत का एक शहर जो आज  देश में रहने वाले  देश के दुश्मनों ने देश धरम के नाम पर , झुठे स्वाभिमान  का बहाना करके , भारत के पुरे राष्ट्र को बर्बाद कर दिया।  राष्ट्र टुटा , राष्ट्रिया की भावना को बरबाद कर दिया।  फिरंगियों की सरकार का सहारा लेकर , खून खराबे कर के देश को दो टुकड़ो में बाँट दिया। 

भारत का वह हिस्सा आज भी  टुटा हुवा शहर है यहां लोग आज भी मारे जा रहे है।  जानते हो वह शहर  का क्या  नाम था ? जी हा बलोचिस्तान का एक शहर कोटा जिसमे इतना बड़ा  कहर  टुट पड़ा था।  सुबह प्रभात के २:33 से लेकर ३:४० तक 7.7 जिसकी मात्रा थी।  उसके बाद   न जाने कितनी ३. ५ की मात्रा में धरती थरथराती  रही।  सब ने उस भिखारी को ढूंढा वह भिखारी जा चूका था।  कहाँ ? किसी को कुछ  मालूम नहीं था। 
 
आज भी मोदी जी  एक साधारण परिवार से भारत में प्रगट हुआ।  जो  देश में निःस्वार्थ देश के लोगो के लिये  काम कर रहे है।  उनके काम को देख कर देशप्रेमी राष्ट्रीयता का सन्देश ले कर देशवासियों को बता रहे की मोदी भगवन नहीं इन्सान है लेकिन उस इन्सान में केवल देश को आगे लाने का सपना है।  और देश को बर्बाद करने वाले , देश को तोड़ने वाले , आज भी कोई उसे चोर कहता है ? कोई फेकू कहता है , कोई जुमलेबाज कहता  है।  आज जिसने धरम के नाम पर हमारे देश को तोडा आज भी वह अभी भी  चैन से जीने नहीं देता।  हमारे देश के दुश्मन ऐसी सोच वालो से मदद मांग रहे है।  अगर जनता को समझाया जाता है तो लोगो को यह सिखाया जाता है कि उनसे कह दो कि हमें ज्ञान न दे , हमें देशभक्ती का सर्टीफिकेट न दे।  न जाने क्यू लग रहा है एक तूफान ऐसा ही आयेंगा  , जिससे भारत की धरती थरथरा जायेंगी और यह फिरंगी , सवराज के नाम पर ठगने वालो के साथ साथ हमारे भोले भाले युवकों को बर्बाद कर देगी।  जो अपनी सेना न हो सका , जो देश की सुरक्षा के हथियारों की सुचना दुनिया भर में फैला देता है वह भारत का ही नहीं वह मानवता का भी दुश्मन  है। 

कोटा की  की कहानी , मेरी नानी सा की जुबानी।  आज फिर से दोहरायी  जा रही है।  क्यों ?