Thursday, September 24, 2009

खुदा का पैगाम इन्सान के नाम

खुदा का पैगाम इन्सान के नाम

लेखक कमलेश चौहान
कॉपीराइट २००८ @ कमलेश चौहान

चाँद को चादनी का तौफा दिया है है उस खुदा ने
सूरज को बनाया दिन का ताज उस ईश्वर ने

इन्सान के लिये बनायीं थी मालिक ने एक ही ज़मीं
जमीं के लिये गिराई इन्सान ने अपनी ज़मीर

मसीहा भी मेरा नाम, अल्लाह भी रखा मेरा नाम
राम रहीम एक है जान, कबीर करीम का है यह पैगाम

मत काटो सर मासूमो के मेरे कश्मीर मे लाकर मेरा नाम
मेरी ही बख्शी ज़मीं पी, मासूमो का मंगाते हो बलिदान

जिहाद तो बनाया था अपने अंदर के कुफर से लड़ना
शत्रंज़ , शराब और मन की बुराईयों से ज़ंग करना

लेकिन अब मै कया कहूँ , कोई मानता नहीं मेरा इमाम
मेरे ही प्यारो ने कर दिया ,मेरा ही नाम बदनाम


यह
ख्याल मै़ने तब लिखा था जब कश्मीर मे हमारे भारती लोगो के घर उजाड़ दिये थे हमारे पडोसी भाईयो ने. दुनिया खामोश रही लेकिन जो हमारे भारती नारियो , बचो और शंतिप्रियाए आदमियों को अपने ही वतन मै जिहाद और आज़ादी के नाम पर नफरत से कतला आम किये गया , भाईयो से बहने बिशद गयी और दुसरो हिसो मे बैठे भारती चुपचाप देखते रहे. आज भी हमारी भारती सरकार विशव मे यह नहीं साबित कर पाई की हमारा भारत धरम के नाम पर अपने देश के टुकडे नहीं कर सकता. धरम यह नहीं सकता किस्सी से बैर करना.

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने |
    कश्मीर में अपने ही भाइयों द्वारा उजाडे गए परिवारों का जब दुःख देखते है तब बहुत गुस्सा आता है हमारी अपनी सरकार पर | ढोंग लगते है सभी मानवाधिकार संगठन | जो सेना द्वारा मारे गए उन दुर्दांत आतंकवादियों के मानवाधिकार की बाते तो करते है पर अपने ही घर उजडे अपने ही देश में शरणार्थी बने उन कश्मीरियों का मानवाधिकार उन्हें नजर नहीं आता |

    ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है | साथ ही अनुरोध कि ज्यादा ज्यादा हिंदी में लिखे | में जानता हूँ कि हिंदी टाईप करने में आपको थोडी परेशानी होगी पर कोशिश करे | और अपने ब्लॉग को http://www.chitthajagat.in/ पर रजिस्टर कराये ताकि हिंदी ब्लॉग पढने वाले आपके ब्लॉग पर आकर आप की रचनाएं पढ़ सके | चिट्ठाजगत हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर है जो सभी हिंदी ब्लोग्स की रचनाएँ एक जगह दिखता है |

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  2. mai na jana kiyon hindi mai type nahi kar pa rahi apane blog pai . pehale face book pai hi hindi type karkae save karati hu aur phir apane blog pai. mainae yeh rachna apkae blog per dekhana chahati hu. Ratan aapmai rajasthan ka garv dekhkar aisa lagta hai jaise mai phir se Jaiput chali gayi hu. bhagwan apkae udashaye mai safal karre. mai phir bhi koshish karati rahungi hindi type karane mai. dussehra ki shubkamanayae

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